
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान मानसिक तनाव के चलते सुसाइड के आंकड़ों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। आगरा पुलिस के रिकॉर्ड से पता चला है कि पिछले दो सालों में सिर्फ आगरा में कई सामूहिक आत्महत्याओं सहित कुल 406 आत्महत्याएं हुई हैं। लॉकडाउन गाइडलाइंस में ढील के बाद जून 2020 में आत्महत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ और जुलाई 2022 के पहले हफ्ते तक जारी रहा।
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो सालों में आगरा में सामूहिक आत्महत्या के कई मामले सामने आए हैं। जिनमें से कई ने कोविड लॉकडाउन के बाद आर्थिक संकट के कारण ये कदम उठाया है। लॉकडाउन के बाद पहली सामूहिक आत्महत्या 3 दिसंबर 2021 को हुई, जब एक शख्स ने अपनी पत्नी और पांच साल की बेटी के साथ अपने ऑफिस में आत्महत्या कर ली। वहीं। सामूहिक आत्महत्या (Mass Suicide) का ताजा मामला जुलाई में आया जब एक शख्स ने अपनी पत्नी और नौ साल की बेटी के साथ आत्महत्या कर ली। यह परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था।
2020 में आगरा में 174 आत्महत्याएं: साल 2020 में, आगरा में कुल 174 आत्महत्याएं हुईं जबकि 2021-22 में अब तक 143 पुरुषों और 89 महिलाओं सहित कुल 232 आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं। वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. केसी गुरनानी का कहना है कि ज्यादातर मामलों में सुसाइड का कारण आर्थिक संकट या अन्य सामाजिक कारण रहा है। डॉ. गुरनानी ने कहा कि ऐसा ही एक और मामला है जिसे आम तौर पर ‘विस्तारित आत्महत्या (Extended Suicide)’ कहा जाता है जहां एक व्यक्ति पहले अपने प्रियजनों को मारता है और फिर खुद आत्महत्या करके मर जाता है।
सामूहिक आत्महत्या में आमतौर पर परिवार के सदस्य आपसी सहमति से आत्महत्या कर लेते हैं। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एसके कालरा ने कहा कि अक्सर आत्महत्या की प्रवृत्ति रखने वाला व्यक्ति अपने प्रियजनों को बताने के बाद ऐसा नहीं कर पाता है।
इस बारे में अपनी राय देते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि लॉकडाउन से बहुत सारे परिवारों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई, खासकर अगर परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य की मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई हो। हालांकि, कुछ परिवारों को आर्थिक सहायता दी गई थी, लेकिन ऐसे परिवारों की संख्या काफी ज्यादा है जिनके नुकसान को स्थानीय प्रशासन द्वारा दर्ज नहीं किया गया था।