
आज शरदीय नवरात्रि की अष्टमी के मौके पर हम आपको समीपवर्ती गुजरात के अंबाजीधाम शक्तिपीठ के दर्शन करवा रहे हैं। यह मंदिर 1200 साल से ज्यादा पुराना है। बताया जा रहा है कि यहां माता सती का हृदय गिरा था। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर जहां पर मां अंबे के साथ श्रीयंत्र की पूजा की जाती है।
अंबाजीधाम पहुंचने के लिए आपको ट्रेन या सड़क मार्ग से आबूरोड आना पड़ेगा। आबूरोड से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर अंबाजीधाम शक्तिपीठ है। वैसे तो यहां सालभर श्रद्धालुओं की आवाजाही लगी रहती है, लेकिन जब बात नवरात्रि की हो तो उस दौरान देशभर से श्रद्धालु उमड़ पड़ते हैं। यह मंदिर देश के सबसे पुराने एवं शक्ति की देवी सती को समर्पित 51 शक्तिपीठों में से एक है।
यह शक्तिपीठ आरासुर पर्वत पर स्थित है। मंदिर सफेद संगमरमर से बना है। इस मंदिर का शिखर 103 फीट ऊंचा है। शिखर सोने से बना है। ये मंदिर की खूबसूरती बढ़ाता है। यहां विदेशों से भी भक्त दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर के गर्भगृह में मां की प्रतिमा के साथ मां का एक श्रीयंत्र स्थापित हैं। शक्ति के उपासकों के लिए यह मंदिर बहुत महत्व रखता है।
भगवान राम और कृष्ण का रहा विशेष नाता
अंबाजी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन संस्कार संपन्न हुआ था। वहीं, भगवान राम भी शक्ति की उपासना के लिए यहां आ चुके हैं। बीते लंबे समय से मंदिर के जीर्णोंधार कार्य चल रहा है। हर साल भाद्रपदी पूर्णिमा के मौके पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जमा होते हैं। नवरात्रि में यहां का वातावरण आकर्षक और शक्तिमय रहता है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि पर्व में श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां माता के दर्शन के लिए आते हैं। इस समय मंदिर प्रांगण में गरबा करके शक्ति की आराधना की जाती है। समूचे गुजरात से कृषक अपने परिवार के सदस्यों के साथ मां के दर्शन के लिए एकत्रित होते हैं। व्यापक स्तर पर मनाए जाने वाले इस समारोह में ‘भवई’ और ‘गरबा’ जैसे नृत्यों का प्रबंध किया जाता है। साथ ही यहां पर ‘सप्तशती’ (मां की सात सौ स्तुतियां) का पाठ भी आयोजित किया जाता है।
अंबाजी के गब्बर पर्वत पर है मां अंबे के पैरों और रथ के निशान, जल रही है अखंड ज्योत
अंबाजी में मुख्य मंदिर से तीन किलोमीटर दूर गब्बर पर्वत स्थित है। यहां पर मां अंबे के पैरों एवं रथ के निशान हैं। यहां सालों से अखंड ज्योत जल रही है ये आज तक कभी नहीं बुझी है। अंबाजी मंदिर के दर्शन के बाद श्रद्धालु गब्बर जरूर जाते हैं। हिन्दू धर्म के प्रमुख बारह शक्तिपीठ हैं। इनमें से कुछ शक्तिपीठ हैं- कांचीपुरम का कामाक्षी मंदिर, मलयगिरि का ब्रह्मारंब मंदिर, कन्याकुमारी का कुमारिका मंदिर, अमर्त-गुजरात स्थित अम्बाजी का मंदिर, कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर, प्रयाग का देवी ललिता का मंदिर, विंध्या स्थित विंध्यवासिनी माता का मंदिर, वाराणसी की मां विशालाक्षी का मंदिर, गया स्थित मंगलावती और बंगाल की सुंदर भवानी और असम की कामख्या देवी का मंदिर। ज्ञात हो कि सभी शक्तिपीठों में मां के अंग गिरे हैं। यहां श्रद्धालुओं को सीढ़ियां चढ़ने में होने वाली परेशानियों का समाधान करने के लिए रोप-वे की सुविधा है। यहां से महज कुछ मिनटों में माताजी तक पहुंच सकते हैं।