
मध्य प्रदेश नगर निकाय चुनाव में ग्वालियर सीट पर कांग्रेस की धमाकेदार जीत हुई है। बीजेपी के गढ़ के रूप में देखे जाने वाले ग्वालियर महापौर के पद पर 57 साल बाद पहली बार कांग्रेस का कब्जा होने जा रहा है। जिस सीट पर खुद माधवराव सिंधिया भी कांग्रेस का मेयर नहीं बनवा सके थे, वहां शोभा सिकरवार ने जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है। शोभा सिकरवार का पूरा परिवार राजनीति में है, उनके पति, ससुर, देवर सभी लोग राजनीति में काफी सक्रिय हैं और बीजेपी का हिस्सा रह चुके हैं।
तीन बार पार्षद रह चुकी हैं शोभा सिकरवार
शोभा सिकरवार ने तीन बार पार्षद और एक बार एमआईसी की सदस्य का चुनाव जीता है। उनका राजनीतिक करियर साल 2004 से शुरू हुआ, जब उन्होंने ग्वालियर नगर निगम के वार्ड क्रमांक 40 से पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद, 2009 में वार्ड 56 और 2014 में वार्ड क्रमांक 45 से चुनाव लड़ा और फिर पार्षद बनीं।
पति, देवर और ससुर भी राजनीति में सक्रिय
वहीं, उनके पति सतीश सिकरवार वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं। साल 2020 में उन्होंने उपचुनाव के दौरान बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा था। इससे पहल वो बीजेपी युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष और उपाध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा, बीजेपी के टिकट पर दो बार पार्षद भी रह चुके हैं। हालांकि, साल 2018 में ग्वालियर पूर्व विधानसभा से उन्होंने बीजेपी से चुनाव लड़ा था, लेकिन इसमें वो हार गए थे। इसके बाद, 2020 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और वो जीत गए।
शोभा के देवर सत्यपाल सिंह सिकरवार भी बीजेपी के विधायक रह चुके हैं। उन्होंने मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उनके अलावा शोभा के ससुर गजराज सिंह सिकरवार बीजेपी के कद्दावर नेता हैं। वो भी मुरैना सीट से दो बार चुनाव लड़कर बीजेपी विधायक रह चुके हैं। वो अभी भी बीजेपी पार्टी में मौजूद हैं।
निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी में खेबेमाजी
ग्वालियर के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद ये पहला निकाय चुनाव था। इस सीट पर बीजेपी में खेमेबाजी देखने को मिली। नरेंद्र सिंह तोमर और सिंधिया के बीच आखिरी समय तक अपने पसंदीदा नेता को टिकट दिलाने के लिए खींचतान चली। आखिरकार बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की समर्थक सुमन शर्मा को टिकट दिया।