
करौली. हिंदू धर्म में सभी धार्मिक और मांगलिक कार्यों की शुरुआत कलश की स्थापना से होती है. जिसमें मिट्टी के कुंभ कलश का तो बहुत महत्व होता है. कलश स्थापना के बिना हिंदू धर्म में सभी पूजा और मांगलिक और धार्मिक कार्यक्रम अधूरे माने जाते हैं. मिट्टी से बने इस कुंभ कलश को अमृत कलश के नाम से भी जाना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार इस कलश को सुख समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है. मिट्टी के कुंभ कलश में गणेश जी सहित संपूर्ण देवताओं का वास होता है. यही कारण है कि धार्मिक नगरी करौली में आज भी शादियों की शुरुआत में सबसे ज्यादा महत्व मिट्टी के कलश को दिया जाता है.
स्टील और अन्य धातु के कलश को दे रहा है मात
आज के आधुनिक जीवन में बड़े-बड़े शहरों में लोग स्टील, तांबे और चांदी के कलश को बढ़ावा दे रहे हैं. लेकिन करौली में आज भी यह मिट्टी का कलश अन्य धातु से बने कलशों को मात दे रहा है.
कुंभकार को दिया जाता है इसका अनाज
पंडित हरिप्रसाद शर्मा ने बताया कि करौली में सभी धार्मिक और मांगलिक कार्यों की शुरुआत मिट्टी के कुंभ कलश से की जाती है. स्थापना के समय इसके नीचे जो अनाज रखा जाता है. उसको मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुंभकार को भेंट करने की यहां पर परंपरा है. जो पुराने समय से चली आ रही है. स्टील के कलश के बजाय मिट्टी के कलश का बहुत महत्व होता है. मिट्टी के कुंभ कलश में सभी देवी देवताओं का वास होता है. और मिट्टी का ही कुंभ कलश सर्वश्रेष्ठ होता है.
50 से ज्यादा परिवारों को मिलता है इससे रोजगार
मिट्टी के कुंभ कलश व्यापारी कुंभकार राधेश्याम प्रजापत ने बताया कि यह हमारा पुश्तैनी काम है. पहले हमारे बुजुर्ग इस कुंभ कलश को तैयार करते थे.और आज हम कर रहे हैं. करौली में करीब 50 परिवारों को इससे रोजगार मिलता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
FIRST PUBLISHED : January 22, 2023, 16:57 IST