देश के राज्यों के भाषाई पुनर्गठन के फलस्वरूप 01 मई 1960 को महाराष्ट्र राज्य बना। आसपास के मराठी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर यह राज्य बनाया गया था। जो पहले चार अलग-अलग प्रशासनों के कंट्रोल में थे। इसमें मूल ब्रिटिश मुंबई प्रांत में शामिल दमन-गोवा के बीच का जिला, मध्य प्रांत (मध्य प्रदेश) के दक्षिण आठ जिले, हैदराबाद के निजाम की रियासत के पांच जिले और आसपास की ऐसी अनेक छोटी-छोटी रियासतों को शामिल किया गया था।
ऐसे बना महाराष्ट्र
स्वतंत्रता के बाद बम्बई प्रान्त में महाराष्ट्र और गुजरात शामिल थे। जब गुजरात और महाराष्ट्र के गठन का प्रस्ताव आया, तो देश के तत्कालीन पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरु ने मुंबई को अलग केंद्रशासित राज्य बनाने की वकालत की। पीएम नेहरु का तर्क था कि मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बनाए रखने के लिए इसको केंद्र शासित करना जरूरी है। लेकिन पीएम नेहरु की एक न चली और देश के पहले वित्त मंत्री व वित्त विशेषज्ञ चिंतामणि देशमुख ने पीएम नेहरु का जमकर विरोध किया और इसी मुद्दे के कारण उन्होंने केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
हालांकि बाद में 1960 बम्बई पुनर्गठन अधिनियम के तहत 01 मई 1960 को इस सम्मलित प्रान्त को महाराष्ट्र और गुजरात नामक दो राज्यों में बांद दिया गया। पुराने बंबई राज्य की राजधानी नए महाराष्ट्र की राजधानी बन गई। वहीं साल 1995 में बंबई का नाम बदलकर इसको मुंबई कर दिया गया।
सियासी हलचल
महाराष्ट्र में मुख्य रूप से शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी राजनीतिक दल हैं। इसके अलावा राज्य में समाजवादी पार्टी, बसपा, बहुजन विकास अघाड़ी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और रिपब्लिकल पार्टी ऑफ इंडिया समेत कई राजनीतिक दल हैं। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने राज्य में शासन किया, जिसको अघाड़ी सरकार कहा जाता है। वर्तमान समय में महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार है। वहीं राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे हैं। वहीं राज्य में भाजपा और शिवसेना के बीच लंबे समय से जमकर तनातनी चल रही है।
जनसंख्या
बता दें कि वर्तमान समय में महाराष्ट्र की जनसंख्या का आंकड़ा 12.98 करोड़ है। इसको भारत में दूसरा सबसे घनी आबादी वाला प्रदेश माना जाता है। अनुमान के मुताबिक साल 2021 में राज्य की जनसंख्या 12, 98, 77, 541 है। महाराष्ट्र में हिंदू अनुयायियों का एक बड़ा हिस्सा हैं। जोकि 96.8 मिलियन है।