करौली. सनातन संस्कृति के सबसे बड़े पर्व दिवाली की धूम बीती रात बड़ी धूमधाम से मनाई गई. दीपावली का पर्व इस बार 2 दिन मनाया जा रहा है. राजस्थान के दो बड़े-दो छोटे शहर ऐसे हैं जहां दिवाली का यही पर्व आज यानी 1 नवंबर को मनाया जा रहा. दीपावली के पर्व को लेकर बाजारों में कई तरह की मिट्टी के दीपक आते हैं. जिन्हें खासतौर से कुंभकार परिवार अपने चाक पर हाथों से आकार देते हैं. वैसे तो अब मिट्टी के दीपकों के साथ ही बाजारों में तरह-तरह के फैंसी और इलेक्ट्रॉनिक दीपक भी आने लगे हैं. लेकिन राजस्थान के करौली के स्थानीय कुंभकार परिवार सैकड़ों सालों से एक खास प्रकार का दीपक अपने हाथों से शुद्धता के साथ बनाते आ रहे हैं. इस खास दीपक की जगह आज तक कोई अन्य प्रकार का दीपक नहीं ले पाया है. इसे करौली के कुंभकार परिवार शुद्ध मिट्टी से एकदम शुद्धता के साथ तैयार करते हैं.
राजस्थान के बीकानेर, जोधपुर, भीलवाड़ा और करौली में दिवाली आज मनाई जाएगी. इन चारों शहरों के ज्योतिषियों और विद्वानों ने दिवाली पूजन के लिए 1 नवंबर की तिथि सबसे ज्यादा शुभ बताई है. धर्मनगरी करौली में चाहे कोई मिट्टी के सामान्य दीपक खरीदें या ना खरीदें लेकिन इस दीपक को हर कोई यहां खरीदता है. मान्यता है कि इस दीपक के बिना मां लक्ष्मी पूजन अधूरा माना जाता है. खासतौर से यह दीपक करौली में महालक्ष्मी के पूजन के लिए यहां के स्थानीय कुंभकार परिवारों द्वारा बनाया जाता है. मिट्टी के इस खास दीपक की सबसे बड़ी खासियत यह 24 घंटे तक लगातार जल सकता है. इसी वजह से करौली में लक्ष्मी पूजन के लिए हर व्यक्ति इस दीपक को खरीदता है. मिट्टी के सामान्य दीपकों के बजाय इसका आकार 4 गुना बड़ा होता है. इसकी मांग भी करौली में जबरदस्त रहती है.
इस दीपक की जोत से मां लक्ष्मी होती है प्रसन्न
करौली में कुंभकार समाज से ताल्लुक रखने वाली बुजुर्ग महिला धन्नो देवी बताती हैं कि यह बड़ा दीपक का उपयोग करौली में दिवाली पर मां लक्ष्मी के पूजन के समय जोत के लिए किया जाता है. वह बताती है कि यह बड़ा दीपक लक्ष्मी पूजन के लिए रात भर ही नहीं बल्कि 24 घंटे और अगर इस पर ध्यान दिया जाए तो तीन दिन तक लगातार घी से जल सकता है. कुंभकार महिला धन्नो देवी बताती है कि यह दीपक लक्ष्मी पूजन के समय यहां घरों में केवल घी से जलाया जाता है. मान्यता ऐसी कि इस दीपक में जली हुई जोत से ही मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है. और जल्दी ही आ जाती हैं. कुंभकार समाज के लोग बताते हैं कि सामान्य दीपकों की बजाय इस दीपक की मांग भी करौली में जबरदस्त रहती है. कई बार तो इस दीपक की पूर्ति तक नहीं हो पाती है क्योंकि यह बड़ी मेहनत के साथ शुद्धता से तैयार किया जाता है.
रात भर जलने के लिए बनाया जाता है यह दीपक
कुंभकार समाज के लोगों का कहना है कि करौली में यह दीपक दिवाली की पूरी रात मां लक्ष्मी के सामने ज्योति निरंतर जलती रहे, इसलिए खासतौर से बनाया जाता है. एक खास बात यह भी है कि यह दीपक शगुन के तौर पर केवल एक ही खरीदा जाता है. करौली में इसे लोग सामान्य दीपक के साथ खासतौर से मां लक्ष्मी के आगे रात भर ज्योत प्रकट करने के लिए खरीदते हैं. मां लक्ष्मी के पूजन के लिए तैयार किये जाने वाले इस दीपक की बाजारों में ₹5 से लेकर ₹10 तक रहती है.
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FIRST PUBLISHED : November 1, 2024, 12:10 IST