कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष कृष्णा एल्ला ने रविवार को यह जानकारी दी। वह यहां एक कार्यक्रम के इतर बोल रहे थे, जिसमें बेंगलुरु में एक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के लिए विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय से संबद्ध ‘मेडिसन ग्लोबल हेल्थ इंस्टिट्यूट’ (जीएचआई) और एल्ला फाउंडेशन के बीच द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे
नयी दिल्ली। भारत बायोटेक ने दो दिन पहले कुछ अस्पतालों को अपने ‘इंट्रानेजल’ (नाक से दिया जाने वाला) कोविड-रोधी टीके की तीन लाख खुराक भेजी हैं। कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष कृष्णा एल्ला ने रविवार को यह जानकारी दी।
वह यहां एक कार्यक्रम के इतर बोल रहे थे, जिसमें बेंगलुरु में एक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के लिए विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय से संबद्ध ‘मेडिसन ग्लोबल हेल्थ इंस्टिट्यूट’ (जीएचआई) और एल्ला फाउंडेशन के बीच द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
नाक के जरिये दिये जा सकने वाले दुनिया के पहले टीके ‘इनकोवैक’ को 26 जनवरी को लांच किया गया था। ‘इनकोवैक’ की कीमत निजी क्षेत्र के लिए 800 रुपये और भारत सरकार तथा राज्य सरकारों को आपूर्ति के लिए 325 रुपये है।
कृष्णा ने कहा, ‘‘हमने दो दिन पहले कुछ अस्पतालों को दुनिया के पहले इंट्रानेजल कोविड-रोधी टीके की तीन लाख खुराक भेजी हैं।’’
इस बीच, भारत बायोटेक के कार्यकारी अध्यक्ष ने भारतीय दवाओं के संबंध में ‘‘एक गुणवत्ता, एक मानक’’ सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य दवा नियामक निकायों को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के साथ विलय करने का भी सुझाव दिया।
पिछले कुछ महीनों में भारतीय दवाओं की गुणवत्ता को लेकर उठाए जा रहे सवालों की पृष्ठभूमि में रविवार को उनकी यह टिप्पणी आई है।
ताजा उदाहरण शुक्रवार का है, जब तमिलनाडु स्थित ‘ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर’ ने अमेरिका में कथित रूप से आंख की रोशनी जाने से जुड़े मामले में अपने सभी ‘आई ड्रॉप’ को वापस लेने का कदम उठाया।
इससे पहले, पिछले साल गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर भारत निर्मित ‘कफ सीरप’ पीने से बच्चों की मौत का मामला सामने आया था।
कृष्णा एल्ला ने कहा कि कुछ मामलों के लिए पूरे भारतीय दवा उद्योग को बदनाम नहीं किया जा सकता है।
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