Skip to content
Aranaad – Since 1975

Aranaad – Since 1975

Hindi News from Indian States

  • Trending News
  • भारत समाचार
  • राजस्थान
  • पंजाब
  • उत्तर प्रदेश
  • महाराष्ट्र
  • सरकारी योजना
  • राज्य समाचार
  • दिल्ली एनसीआर
  • मध्य प्रदेश
  • छत्तीसगढ
  • करियरऔर नौकरी
    • क्रिकेट
  • बॉलीवुड मूवी
    • Crypto News
  • टेक न्यूज
  • Festivals/त्यौहार
  • राशिफल
    • COVID-19
  • Toggle search form
  • Haffkine संस्थान के पास 1400 करोड़ रुपये, इस्तेमाल नहीं हो रहा : मंत्री Trending News
  • भिंडरावाले से तुलना, खालिस्तान की डिमांड, दुबई से अजनाला तक, अमृतपाल सिंह के एक कट्टरपंथी में परिवर्तन होने की कहानी, कैसे शिकंजे में आया? Trending News
  • MP Politics: विधानसभा चुनाव से पहले BJP को बड़ा झटका, सिंधिया समर्थक बैजनाथ सिंह ने की घर वापसी Home
  • MP News: ‘मेरे गांव आना तुम्हारे टुकड़े कर दूंगा’ BJP विधायक को मिली जान से मारने की धमकी, कभी सिंधिया के थे करीबी राज्य समाचार
  • Karnataka Chunav Date: कर्नाटक में 10 मई को मतदान, 13 मई को नतीजे Home
  • Gujarat Board 10th result: गुजरात बोर्ड 10वीं के नतीजे घोषित, 35 प्रतिशत स्टूडेंट्स हो गए फेल बड़ी ख़बरें
  • मसूदा: सड़क के हाल बेहाल, विधायक कहते है जल्द शुरू होगा मेघा हाईवे Home
  • मणिपुर की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, सरकार को दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश Trending News

सेहत का मोर्चा

Posted on July 17, 2022 By Staff Reporter No Comments on सेहत का मोर्चा
Share this article

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की व्यवस्थाओं के सामने गंभीर चुनौतियां पेश की हैं। उनमें एक बड़ी समस्या स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी पैदा हुई है। खासकर विकासशील देशों में, जहां लंबे समय से चली आ रही कुछ बीमारियों को जड़ से समाप्त करने के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं। ये देश पहले ही कुपोषण, जलजनित बीमारियों आदि से पार पाने की कोशिश कर रहे हैं। उसमें कोरोना काल में जब संक्रमण से बचने के लिए बंदी की गई, तब नियमित चिकित्सीय सेवाएं बाधित हो गईं।

अस्पतालों में भी तमाम सेवाओं में लगे चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए तैनात कर दिया गया। इस तरह कुछ आवश्यक सेवाएं ही चलाई जाती रहीं। ऐसे में पांच साल तक की उम्र के बच्चों को लगने वाले डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खांसी, पोलियो आदि के नियमित टीके नहीं लगाए जा सके। संयुक्त राष्ट्र बाल आपात कोष यानी यूनीसेफ ने दुनिया भर के अपने अध्ययन में पाया है कि इस दौरान ढाई करोड़ बच्चों को नियमित टीके नहीं लगाए जा सके। इनमें से ज्यादातर बच्चे भारत, इंडोनेशिया, इथियोपिया, नाइजीरिया और फिलीपीन जैसे विकासशील देशों के हैं। यूनीसेफ ने इसे गंभीर चेतावनी के रूप में जारी किया है।

जाहिर है, नियमित लगने वाले टीकों का चक्र टूटने या पूरा न हो पाने से उन बीमारियों के उभरने का खतरा बना रहेगा। किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए उसके विषाणु का चक्र तोड़ना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो फिर से भयावह रूप में उसके पांव पसारने का खतरा रहता है। भारत जैसे देश में चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों के विषाणु का चक्र तोड़ने में वर्षों लग गए। पोलियो के लिए लंबे समय तक अभियान चलाए रखना पड़ा। मगर काली खांसी, टिटनेस, हेपेटाइटिस आदि पर काबू पाना अब भी चुनौती है।

दरअसल, भारत जैसे देश में न तो हर व्यक्ति को पीने का साफ पानी उपलब्ध है, न साफ वातावरण में रहने की जगह और न बहुत सारे लोगों को उचित पोषण मिल पाता है। इसके चलते भुखमरी और कुपोषण यहां सबसे बड़ी समस्या है। हर साल इनके आंकड़े कुछ बढ़े हुए ही दर्ज हो रहे हैं। महिलाओं में रक्ताल्पता का आंकड़ा चिंताजनक स्तर तक पहुंच गया है। ऐसे में शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कमजोर होने से उनके फैलने की आशंका लगातार बनी रहती है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों ने ऐसी बीमारियों पर काबू पाने के मकसद से कई स्वास्थ्य योजनाएं चला रखी हैं और गांव स्तर पर भी इनसे संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराने को लेकर गंभीरता दिखाई देती है।

मगर बचपन में ही रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाए, तो आगे चल कर व्यक्ति के स्वस्थ रह पाने की संभावना क्षीण ही रहती है। अब कोरोना का प्रकोप काफी कम हो चुका है, जीवन सामान्य गति में लौट रहा है, स्वास्थ्य सेवाओं पर महामारी से लड़ने का दबाव कम है। इसलिए अब टीकों को सुचारु करने के साथ-साथ उन बच्चों पर भी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, जो नियमित टीकों से वंचित रह गए या जिनका टीकों का चक्र पूरा नहीं हो पाया। अब तो हर गांव तक स्वास्थ्य कर्मियों की पहुंच है, उन्हें ऐसे बच्चों की पहचान और उन्हें सहायता उपलब्ध कराने में लगाया जा सकता है। मगर इसके साथ ही उन बिंदुओं पर भी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, जिसकी वजह से बच्चों को उचित पोषण नहीं मिल पाता।

COVID-19, Uncategorized

Post navigation

Previous Post: रक्षा में सहयोग
Next Post: पाकिस्तान के पंजाब एसेंबली उपचुनाव में इमरान की पार्टी की बड़ी जीत, कहा- ‘वोटरों ने पूरे राज्य तंत्र को हराया’

Related Posts

  • Indian Army Agniveer Recruitment Rally 2022: अग्निवीर पदों के लिए 3 अगस्त तक करें आवेदन, इस तारीख को होगी भर्ती रैली Uncategorized
  • DSSSB Result 2022: फिजिकल एजुकेशन टीचर एग्जाम का रिजल्ट घोषित, इन स्टेप्स में ऐसे करें चेक Uncategorized
  • गृह प्रवेश प्रोग्राम में काम कराया पर पैसा नहीं दिया, मजदूरों ने सीएम योगी से गुहार लगा दी आत्‍मदाह की धमकी, रविकिशन बोले-  बकाया है तो बात करें Uncategorized
  • पिता के दोस्तों के सामने जया प्रदा के गाने पर करता था डांस; करण जौहर ने खुद किया खुलासा Uncategorized
  • पीएम मोदी ने किया देवघर एयरपोर्ट का उद्घाटन, बोले- झारखंड की आधुनिक कनेक्टिविटी और पर्यटन को मिलेगा बल Uncategorized
  • इस बार गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है विशेष योग, जानिए किन राशियों के लिए खोलेगा सफलता के मार्ग! Uncategorized

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • सेहत का मोर्चा
  • Parineeti Raghav Wedding : परिणीति की पहली विदाई की तस्वीरें आई सामने। Udaipur। Leela Palace N18V
  • कौशल विकास घोटाला: अदालत ने चंद्रबाबू नायडू की न्यायिक हिरासत पांच अक्टूबर तक बढ़ाई
  • पीएम नरेंद्र मोदी का कल भोपाल दौरा, बीजेपी कार्यकर्ताओं को करेंगे संबोधित

  • OMG! गाय ने पांच पैरों वाले बछड़े को दिया जन्म, लोगों की लगी भीड़ | #Local18
  • Dungarpur News: भचड़िया में 1 अक्टूबर को होगा पटेल, पाटीदार और डांगी समाज का महासम्मेलन, सरदार पटेल की मूर्ति का होगा अनावरण
  • Trending Quiz : वो कौन सी सब्जी है, जिसे खाने से चेहरा गोरा होता है?
  • मोदी सरकार 2024 के आम चुनावों से पहले वाहवाही लूटने के लिए महिला आरक्षण विधेयक लाई: कांग्रेस नेता
  • नीतीश का राजग में वापसी से इनकार, सुशील ने कहा: भाजपा का दरवाजा उनके लिए बंद

Copyright © 2022 AranaadSamachar.in – Since 1975

Powered by PressBook News WordPress theme