
लुलु मॉल के विवादों में आने के बाद वहां के एडमिनिस्ट्रेशन पर सिर्फ मुसलमानों को ही नौकरी देने का आरोप लग रहा है। वायरल हुए कुछ वीडियो में लोग टोपी लगाकर नमाज पढ़ते नजर आ रहे हैं। उसके बाद से हिंदू महासभा ने तीखे तेवर अख्तियार कर लिए। हालांकि मॉल प्रशासन की मानें तो वहां काम करने वाले 80 फीसदी लोग हिंदू हैं और 20 फीसदी बाकी समुदाय के।
लुलु मॉल प्रशासन ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि वो सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। उनके यहां नौकरी किसी को धर्म देखकर नहीं बल्कि काबिलियत के आधार पर दी जाती है। यहां किसी भी तरह की धार्मिक सभा या प्रार्थना की इजाजत नहीं है। हमने अपने फ्लोर स्टाफ और सुरक्षा कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि ऐसी घटनाएं न होने पाएं। प्रशासन का कहना है कि वो इस मॉल को विश्व स्तरीय बनाना चाहते हैं। ऐसे में सभी से अनुरोध है कि इस सपने को साकार करने में उनकी मदद करें।
ध्यान रहे कि लखनऊ के लुलु मॉल को भारत का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल कहा जा रहा है। अब मॉल में नमाज पढ़ने को लेकर विवाद भड़का है। उद्घाटन से पहले भी यह मॉल दक्षिणपंथी संगठनों के निशाने पर है। लुलु मॉल का उद्घाटन खुद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर चुके हैं। मॉल के मालिक यूसुफ अली के साथ सीएम योगी की तस्वीरें भी खूब वायरल हो रही हैं।
हिंदू महासभा के लोग मॉल पर जिहादी ग्रुप से लिंक होने का भी आरोप लगा रहे हैं। मॉल में कुछ लोगों द्वारा नमाज पढ़ने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मॉल कॉम्प्लेक्स के अंदर नमाज अदा करने वाले 7-8 लोगों का एक वीडियो भी वायरल हुआ। जैसे ही वीडियो वायरल हुआ लोगों का गुस्सा लुलु मॉल पर फूट पड़ा। यह मॉल जब से खुला है तबसे ही यह दक्षिणपंथी संगठनों के निशाने पर है। नमाज को लेकर मचे हुड़दंग के बाद पुलिस ने केस दर्ज भी किया लेकिन विवाद अभी तक शांत होने का नाम नहीं ले रहा।
दक्षिणपंथी संगठनों का दावा है कि मॉल प्रशासन मुस्लिम समुदाय के तुष्टिकरण का काम कर रहा है। यहां काम करने वाले 80 फीसदी मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। उन्हें मॉल के भीतर ही नमाज अदा करने की अनुमति दी जा रही है।