अंकित राजपूत/जयपुर : जयपुर शहर की पहचान यहां के सुंदर किले-महल हैं. जयपुर शहर और शहर से दूर-दूर तक कई सारे छोटे-बड़े किले महल बने हुए हैं. जहां इन्हें देखने लोग दूर-दूर से यहां तक पहुंचते हैं. ऐसा ही प्राकृतिक सौंदर्य की गोद में बसा अचरोल का किला जिसे अचलगढ़ किले के नाम से भी जाना जाता है. जिसकी सुंदरता लोगों को यहां तक खींच लाती हैं. अचरोल गांव आमेर के कछवाह वंश के राजाओं ने बसाया था.
अचरोल के इस किले का निर्माण 1564 ई. में अचलदास ने करवाया था. यह किला घनी पहाड़ियों की चोटी पर बना हुआ हैं. जहां से प्रकृति का नजारा जबरदस्त दिखाई देता है और इसी वजह से यहां लोग इस छोटे से किले को देखने आते हैं. अचरोल गांव आमेर के पास से गुजरात वाले जयपुर-दिल्ली राजमार्ग से 35 किलोमीटर अंदर स्थित है.
युद्ध के सैन्य ठिकाने के रूप में बनवाया गया था यह किला
अचरोल का यह किला हवेलीनुमा तरिके से बना हुआ है. इस किले के निर्माण का मुख्य उद्देश्य युद्ध में सैन्य ठिकाने के रूप में किया जा सके. इस किले में एक छोटा सा महल भी बना हुआ हैं जिसे संग्रहालय के रूप में उपयोग किया जाता हैं. इस किले पर चढ़ने के लिए कोई पक्का रास्ता नहीं बना हुआ है. पत्थरीले और जंगल के रास्ते से ही किले कि चोटी तक पहुंचा जाता है.
इस किले सुबह-शाम के समय का सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य अद्भुत दिखाईं पड़ता हैं. किले के चारों और सुंदर गुम्बद बने हुए हैं जो दूर-दूर तक दिखाई देते हैं. यह किला पूरी तरह से पुराने समय के काले पत्थर और उस समय के मटेरियल से बना हुआ है जो दर से काले रंग का दिखाई देता है.
किले के पास ही बना हुआ है अचलेश्वर महादेव मंदिर
अचरोल गांव के इस किले के साथ यहां प्राचीन समय का अचलेश्वर महादेव का मंदिर भी है. जो एक प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक हैं यहां इस मंदिर में लोग अचलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं. अचरोल के किले की बनावट के कारण इसे राजस्थानी खड़िया रूपी किले के रूप में भी जाना जाता हैं.
अचरोल के किले की सबसे खासबात यह है कि यहां पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्यता और शांति का अनुभव लेने के लिए आते हैं. अचरोल के इस किले के निर्माण के बाद कभी इसका जीर्णोद्धार कार्य नहीं हुआ इसलिए यह किला जैसा बना था उसी तरह आज भी सुरक्षित खड़ा दिखाई देता है.
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FIRST PUBLISHED : November 21, 2023, 23:28 IST