
बीकानेर. राजस्थान के कई गांव संपन्नता में जिलों को पीछे छोड़ रहे हैं. ऐसा ही एक गांव है रासीसर जो कि बीकानेर के नोखा उपखंड क्षेत्र में स्थित है. यह गांव राज्य के कई जिलों से ज्यादा राजस्व देता है. नोखा के इस गांव की इकोनॉमी पहिए पर घूमती है. यहां के रहने वाले लोगों की संपन्नता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे सालाना पांच करोड़ का टैक्स भरते हैं.
रासीसर गांव की आबादी 15 हजार है. यहां पर करोड़ों रुपये की कीमत के 1500 ट्रक-ट्राले और सैकड़ों बसों के मालिक यहां रहते हैं. इस गांव के ट्रक और बसें की संख्या, उनसे मिलने वाले राजस्व को देखते हुए प्रशासन को नोखा में अलग से डीटीओ ऑफिस ही खोलना पड़ा है. फिलहाल, नोखा डीटीओ ऑफिस का राजस्व वसूली का सालाना टारगेट 46.53 करोड़ है. गांव के गलियों, खेतों में बसें और ट्रक ही ट्रक नजर आते हैं. रासीसर प्रदेश का इकलौता गांव है, जहां इतने ट्रक और बसें हैं.
गांव में पांच हजार से ज्यादा छोटे-बड़े वाहन हैं. यहां के लोग ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करते हैं, इसलिए ट्रांसपोर्ट वाहनों की गांव में भरमार है. गांव में करीब 1500 ट्रक-ट्रेलर-डंपर, 125 छोटी-बड़ी बसें, 728 पिकअप-कैम्पर, 806 लग्जरी कारों के अलावा ऑटो समेत कई वाहन हैं. गांव में 2000 से ज्यादा दोपहिया वाहन हैं. गांव की गाड़ियों पर रासीसर का नाम देखने को मिलता है.
गांव में दिखती है संपन्नता की झलक
इस करोड़पति गांव में सपन्नता की झलक भी देखने को मिलती है. गांव में दो ग्राम पंचायते हैं. बिजली, पानी, चिकित्सा, सड़क सहित सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध गांव मौजूद हैं. पांच सरकारी स्कूल, सीएचसी और आयुर्वेद अस्पताल और एक पशु चिकित्सालय है.
1978 में गांव में शुरू हुआ था ट्रांसपोर्ट बिजनेस
गांव के मंडा परिवार ने सबसे पहले 1978 में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की शुरुआत की थी. बताया जाता है कि उन्होंने एक ट्रक से शुरुआत की. आज पूरा गांव ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में है. मंडा परिवार के पास 100 ट्रक-ट्रेलर और 25 बसें हैं. ट्रांसपोर्ट व्यवसायी मांगीलाल मंडा का कहना है कि उनके पिता भागीरथ मंडा गांवों में किसानों से अनाज इकट्ठा करके ट्रक से खुद कृषि मंडी में ले जाते थे. एक ट्रक खरीदा. धंधा बढ़ा तो ट्रक खरीदते गए. आज पूरा गांव इसी धंधे से जुड़ा है.
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FIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 18:39 IST