
ब्रिटेन में सत्ता डावांडोल हैं। क्रिस पिंचर मामले में फंसे प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के खिलाफ उनके ही मंत्रियों ने बगावत कर दी है। ब्रिटेन के वित्त मंत्री ऋषि सुनक और स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद समेत चार मंत्रियों ने जॉनसन की लीडरशिप पर सवाल उठाते हुए इस्तीफा दे दिया है। त्याग पत्र देते हुए सुनक ने कहा ”लोग सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह गंभीरता और ठीक से काम करे। मंत्री के तौर पर मेरा यह आखिरी काम हो सकता है। लेकिन जो कुछ हुआ, उसके खिलाफ यह जरूरी था। इसीलिए मैं इस्तीफा दे रहे हैं।” यह इस्तीफा प्रधानमंत्री जॉनसन द्वारा माफी मांग लिए जाने के बाद आया है। जॉनसन पार्टी नेता के पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब पार्टी तय करेगी कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। पार्टी जिसे भी अपना नेता चुनेगी मैं उसका समर्थन दूंगा।
क्या है क्रिस पिंचर मामला? : क्रिस पिंचर ब्रिटेन के सांसद हैं। उन पर नशे में यौन दुराचार करने और लोगों से गलत व्यवहार करने का आरोप है। प्रधानमंत्री जॉनसन ने स्वीकार किया है कि उन्हें इस बात की जानकारी थी। बावजूद इसके उन्होंने इस साल फरवरी में पिंचर को डेप्युटी चीफ व्हिप बनाया था। अब जॉनसन ने इस नियुक्ति पर खेद जताया है। कंजर्वेटिव पार्टी ने पिछले सप्ताह इस मामले में पिंचर को निलंबित कर दिया। हालांकि पिंचर यौन दुराचार के आरोपों खारिज करते रहे हैं।
पीएम की रेस में ऋषि सुनक : ब्रिटेन की राजनीति की समझ रखने वाले बता रहे हैं कि ऋषि सुनक व अन्य मंत्रियों का इस्तीफा प्रधानमंत्री जॉनसन पर दबाव बनाने के लिए ही था। विपक्ष समेत जॉनसन के मंत्री भी चाहते थे कि प्रधानमंत्री इस्तीफा दे दें। जॉनसन के इस्तीफे के बाद अगले प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक पहली पसंद बताए जा रहे हैं। हालांकि इस रेस में पेनी मॉरडॉन्ट, बेन वॉलेस, साजिद वाजिद, लिज ट्रस और डोमिनिक राब के नाम भी शामिल है। ब्रिटेन में अगला चुनाव 2024 में होना है। लेकिन जॉनसन के इस्तीफे की स्थिति में अब कोई नया व्यक्ति प्रधानमंत्री का पद संभालेगा।
कौन हैं ऋषि सुनक : साल 2020 में तत्कालीन वित्त मंत्री साजिद जावेद के इस्तीफे के बाद ऋषि सुनक को ब्रिटेन का वित्त मंत्री चुना गया था। ब्रिटिश सरकार में प्रधानमंत्री के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद वित्त मंत्री का ही होता है। सुनक पहली बार 2015 में यॉर्कशर के रिचमंड से सांसद चुने गए थे। 42 वर्षीय सुनक खुद को पहली पीढ़ी का अप्रवासी कहते हैं। भारतीय मूल के उनके परिजन ईस्ट अफ्रीका से यूके आए थे। पेशे से उनकी मां फार्मासिस्ट और पिता डॉक्टर थे। एक इंटरव्यू में खुद को हिन्दू बताते हुए सुनक ने कहा था, मैं हिन्दू हूँ और वीकेंड पर मंदिर जाता हूँ।
ब्रिटेन में राजनेता बनने की ख्वाहिश रखने वाले ज्यादातर लोग दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई करते हैं, सुनक ने भी ऑक्सफोर्ड से इन्हीं विषयों में पढ़ाई की। बाद में एमबीए के लिए स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय गए। यही उनकी मुलाकात अक्षता मूर्ति से हुई। दोनों पति-पत्नी के रूप में अब तक साथ हैं। अक्षता भारतीय आईटी कंपनी इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति की बेटी हैं। इस तरह ऋषि सुनक नारायण मूर्ति के दामाद हुए।
खैर, राजनीति में एंट्री से पहले सुनक ने इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स में नौकरी की थी। आज जिस बोरिस जॉनसन को पद से हटाने के लिए सुनक इस्तीफा दिया है, कभी उसी जॉनसन के पक्के वाले समर्थक हुआ करते थे। पहली बार यह भक्ति ब्रेक्सिट के वक्त नजर आयी थी। उसके बाद सुनक कितनी दफा जॉनसन समर्थक के रूप में मीडिया में नजर आए थे। साल 2019 से सुनक को पार्टी में छोटे-बड़े पद मिलते गए और वह बढ़ते गएं।
प्रधानमंत्री बनने की राह कितनी आसान? : वित्त मंत्री बनने के बाद कोरोना महामारी के दौरान ऋषि सुनक ने जो कदम उठाए, उसने उनको तेजी से प्रसिद्ध किया था। अपने पहले बजट में ही सुनक ने 12 बिलियन पाउंड कोरोना महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए आवंटित किया था। कोरोना ने जब मंदी को तेज किया तो सुनक ने देश के कारोबार को बचाने के लिए 330 बिलियन पाउंड के स्टेट-बैक्ड लोन का ऐलान कर दिया। सरकार की तरफ से आयी इस मदद से आर्थिक संकट में बिजनेस को जल्द खड़ा होने में सपोर्ट मिला। आर्थिक नीति और सार्वजनिक खर्चों के मामले में सुनक ने अपने प्रधानमंत्री का भी ज्यादा ख्याल न किया। यही वजह है कि वह जनता के बीच खासे प्रसिद्ध रहें। लेकिन बीच में ऐसी भी घटनाएं हुईं, जिसने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया। इसमें पत्नी अक्षता मूर्ति के टैक्स से जुड़ा विवाद अहम रहा।