जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट… यानि ग्रामीण आंचल को समेटने वाली सीट. इस सीट का ज्यादातर हिस्सा ग्रामीण है. जयपुर, अलवर और दौसा के साथ लगती ये सीट राजस्थान की सबसे हॉट सीटों में शुमार है. जयपुर ग्रामीण के कई कस्बे धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं. जयपुर ग्रामीण का विराटनगर कस्बा महाभारतकालीन है. इस सीट का इतिहास भले ही ज्यादा पुराना ना हो, लेकिन यहां की सियासत जरूर सबसे अलग होती है. इसे भेदना किसी के लिए भी आसान नहीं होता. 2008 में परिसीमन के बाद जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. वैसे तो जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र, जयपुर जिले के आसपास के इलाकों को मिलकर बनाया गया है. 2008 से पहले यहां की ज्यादातर विधानसभा दौसा लोकसभा में आती थी. लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट बनी. इस सीट पर हमेशा बीजेपी का दबदबा रहा है.
2009 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से कांग्रेस के लालचंद कटारिया सांसद बने. उन्होंने बीजेपी के राव राजेंद्र सिंह को मात दी. इसके बाद 2014 के चुनाव में बीजेपी ने कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को अपना प्रत्याशी बनाया. जबकि कांग्रेस ने सीपी जोशी को मैदान में उतारा. चुनाव परिणामों में बीजेपी के राज्यवर्धन सिंह राठौड़ विजयी रहे. 2019 में एक बार फिर बीजेपी ने राज्यवर्धन सिंह को चुनावी मैदान में उतारा, जबकि कांग्रेस ने कृष्णा पूनिया को प्रत्याशी बनाया. लेकिन राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने एक बार फिर जीत दर्ज की. इस बार मुकाबला बीजेपी के राव राजेंद्र सिंह और कांग्रेस के अनिल चोपड़ा के बीच है.
जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर होती आई है. इस बार भी इस सीट पर मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में ही दिखाई दे रहा है. अन्य दल और निर्दलीय मतदाताओं का भरोसा नहीं जीत पाए हैं. कई प्रत्याशियों से ज्यादा वोट तो नोटा को मिले हैं. जयपुर ग्रामीण लोकसभा में विधानसभा की आठ सीटें आती हैं. इनमें दबदबा बीजेपी का है. आठ में से 5 सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं. जबकि तीन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.
जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र
कोटपुतली विधानसभा बीजेपी के पास है. यहां से हंसराज पटेल विधायक हैं. बानसूर सीट पर देवी सिंह शेखावत बीजेपी के विधायक हैं. विराटनगर से भी बीजेपी ने जीती थी. कुलदीप धनकड़ विधायक हैं. शाहपुरा सीट कांग्रेस ने जीती और मनीष यादव विधायक बने. आमेर सीट पर सतीश पूनिया को हराकर कांग्रेस के प्रशांत शर्मा ने जीत हासिल की. जमवारामगढ़ सीट बीजेपी ने जीती, यहां से महेंद्र पाल मीणा विधायक हैं. झोटवाड़ा सीट से कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने बड़ी जीत दर्ज की. फुलेरा में कांग्रेस के विद्याधर चौधरी विजेता बने थे.
यादव समुदाय का वर्चस्व
इस सीट पर यादव समुदाय का वर्चस्व है. यहां हम जातीय समीकरण की बात करें तो राव राजेन्द्र सिंह को मजबूती मिल सकती है. वहीं उनके बाद जाट समुदाय की भी महत्वपूर्ण उपस्थिति है. यादव या अहीर समुदाय की कोटपूतली, शाहपुरा, बानसूर, झोटवाड़ा, विराटनगर, आमेर में सबसे अधिक आबादी है. ये जयपुर ग्रामीण लोकसभा चुनाव का पलड़ा राव राजेंद्र के पक्ष में पलट सकते हैं.
‘बिन पानी सब सून’
आबादी इस लोकसभा क्षेत्र में सभी वर्गों की ठीक-ठाक है. लेकिन, कई समस्याएं यहां सबके लिए एक जैसी है. जयपुर ग्रामीण में पानी सबसे बड़ा मुद्दा है. किसान से लेकर आम जनता तक सब परेशान हैं. पानी की समस्या खत्म होने पर किसानों को बड़ा फायदा होगा. इसके अलावा अधूरे हाईवे का निर्माण भी लोगों के लिए बड़ी समस्या है. वहीं बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार की तलाश है.
क्षेत्र के कई लोग मानते हैं कि मोदी सरकार ने काम किया है. कर्नल राजवर्धन सिंह राठौड़ बतौर सांसद पास हैं. इसके चलते बीजेपी का जोश हाई है. लेकिन, जनता से इतर विपक्ष की अपनी राय, अपनी सियासत है. विपक्ष ने तमाम मुद्दों पर बात की और इस लोकसभा क्षेत्र में विकास का पैमाना भी बताया. तमाम मुद्दों और सियासी समीकरणों के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. जहां जनता सभी से हिसाब-किताब मांग रही है. जयपुर ग्रामीण सीट पर बीजेपी भले ही मजबूत नजर आ रही हो, लेकिन कांग्रेस का जोश भी इस बार हाई नजर आता है.
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FIRST PUBLISHED : April 4, 2024, 19:46 IST