हालांकि बीजेपी जून 2022 में एमवीए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को गिराने में कामयाब रही और बालासाहेबंची शिवसेना (बीएसएस) के नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में राज्य में सरकार का गठन कर लिया। हालांकि शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष ठाकरे ने एमवीए सहयोगियों को नहीं छोड़ा। सहयोगियों ने भी उनके सुर में सुर मिलाया। फिलहाल राष्ट्रीय राजनीतिक आइने में तीन विपक्षी गठजोड़ की संभावना सामने आ रही है। महाराष्ट्र में एनसीपी-शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस का गठबंधन चट्टान की तरह मजबूत दिख रहा है।
ममता-केसीआर से पॉजिटिव मूड में मुलाकात
दिसंबर 2021 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और फरवरी 2022 में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने महाराष्ट्र के नेताओं से मुलाकात की और उनके राष्ट्रीय राजनीतिक डिजाइन पर चर्चा की। उन्होंने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। दोनों दिग्गजों ने बनर्जी और राव का गर्मजोशी से स्वागत किया, लेकिन गैर-कांग्रेसी मोर्चे को अव्यवहारिक बताया।
कांग्रेस सहित विपक्षी एकता की जरूरत
पवार और एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं प्रफुल्ल पटेल, सुप्रिया सुले, अजीत पवार, प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे, संजय राउत, अरविंद सावंत और आदित्य ठाकरे और अन्य लोगों ने अलग-अलग अवसरों पर 2024 में बीजेपी को चुनौती देने के लिए कांग्रेस सहित विपक्षी एकता की जरूरत बताई है।
विपक्ष के गिरते मनोबल को मिली बूस्टर डोज
पवार और राउत ने विचार व्यक्त किया कि कांग्रेस अपनी अखिल भारतीय उपस्थिति, सभी वर्गों के बीच स्वीकृति, अनुभव और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होने के नाते विपक्षी एकता की धुरी हो सकती है। शरद पवार ने इस मकसद के लिए राजनीतिक स्पेक्ट्रम में अपने दोस्तों की सेना के माध्यम से अपने पैंतरेबाजी जारी रखी है। हाल ही में सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस और आंशिक रूप से विपक्ष के गिरते मनोबल के लिए बूस्टर खुराक साबित हुई।
भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे महाराष्ट्र के नेता
एनसीपी की सुले, पाटिल, डॉ. जितेंद्र आव्हाड और अन्य बड़े नेता कांग्रेस को समर्थन देते हुए यात्रा में शामिल हुए। उसके बाद शिवसेना (यूबीटी) के आदित्य ठाकरे, अंबादास दानवे, संजय राउत और उर्मिला मातोंडकर ने भी इसमें शिरकत की। दरअसल तीनों राजनीतिक दल उस समय एकजुट हो गए थे, जब 23 नवंबर, 2019 को देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार (एनसीपी) को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई।
महाराष्ट्र संकट पर पवार ने किया था आगाह
हालांकि, एनसीपी और कांग्रेस के प्रयासों से पिछली सरकार को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर करते हुए उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। जून 2022 में एमवीए सरकार गिरने से कुछ हफ्ते पहले पवार ने ठाकरे को स्पष्ट चेतावनी दी थी कि आपदा आसन्न है। इस बात का खुलासा हाल ही में अजीत पवार ने किया था। सेना के नेताओं ने स्थिति की गंभीरता को नहीं समझा और उनके भरोसेमंद लोगों ने अचानक तख्तापलट के माध्यम से उन्हें धोखा दिया।
एमएलसी चुनाव में एमवीए ने बीजेपी को दिया झटका
केंद्रीय जांच एजेंसियां एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) के कई नेताओं के पीछे पड़ीं, यहां तक कि पवार और ठाकरे के रिश्तेदारों तक भी पहुंचीं, लेकिन एमवीए साझेदारी नहीं टूटी। एमवीए ने हालिया एमएलसी चुनाव लड़कर तीन सीटों पर जीत हासिल की, बीजेपी और एक बागी कांग्रेसी को एक-एक सीट मिली। तीनों पार्टियां अब पुणे की दो विधानसभा सीटों पर आगामी उपचुनाव लड़ रही हैं, जो उनके राजनीतिक लचीलेपन का एक और परीक्षण होगा। एमएलसी चुनावों के बाद, एमवीए का संदेश, जैसा कि कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, अजीत पवार और राउत ने कहा, यह स्पष्ट है कि अगर हम एकजुट रहते हैं तो जीतेंगे और विभाजित होते हैं तो टूट जाएंगे।